Jana Kidhar hai..

खुली सड़क हमें सोचने का मौका देती है,

की हम आये कहाँ से हैं, और हमे जाना किधर है.. 

याद दिलाती हैं हमे यह टूटी सड़कों के गड्ढे, 

की हमने खोया कहाँ है, और हमे पाना किधर है.. 

यूँ तेज़ गुज़रती हुई ये गाड़ियां, 

मानो हमें आइना दिखती हों, हमारी व्यस्त ज़िन्दगियों का; 

पर मैं देखता हूँ, आगे के चौराहे की भीड़ पर सभी को धीरे होना ही पड़ता है , 

जैसे हम भी अक्सर थम ही जाते हैं ज़िन्दगी में, स्वास्थ्य और अपनों के लिए .. 

मैं यह मानता हूँ, की जीवन के ये उतार भी बहुत ज़रूरी हैं, 

हम किसी रेस में नहीं हैं, यह याद दिलाने के लिए हमारा गिरना भी बहुत ज़रूरी है..

ज़िन्दगी कोई मंज़िल तो नहीं, जहाँ हमे सबसे पहले पहुंचना है.. 

ये तो एकतरफा रास्ता  है, जिसमे पीछे मुड़कर देख सकना पर वापिस जा न सकना ही इसकी संरचना है।  

सफर को सुखद बनाने में, अक्सर हम भूल जाते हैं.. उस सफर का आनंद इधर है,

इसीलिए तो, खुली सड़क मौका देती हैं हमे सोचने का, की हम आये कहाँ से हैं, और हमे जाना किधर है..


-Gaurav

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